हँसमुखजी मशहूर डाकू थे
लाखों का इनाम
सर पर लिए घूमते थे
एक नेता की बातों में आ गए
हथियार डाल दिए
सज़ा काट कर बाहर आये
नेताजी की चिकनी चुपड़ी
गिरगिटी बातों में फँस गए
देश सेवा के लिए
उनकी पार्टी में शामिल हो गए
थोड़े दिनों में नेताओं को
असली रूप उजगार हुआ
डाकुओं से भी बदतर
आचरण देख कर
हैरान,परेशान हो गए
फिर से डाकू बन गए
एक पत्रकार के पूछने पर
क्यूँ फिर से डाकू बने ?
व्यथा सुनाने लगे
जिनका ना धर्म ना ईमान हो
गरीब को भी लूट ले
भूखे की रोटी छीन ले
सफ़ेद कपडे में छुपे नाग
जो अपनों को भी डँस ले
निरंतर सच से परहेज रखे
खुद की बात का खुद भी
विश्वास ना करे
ऐसे नेताओं से डाकू अच्छे
इस लिए वे फिर से
डाकू बने
लाखों का इनाम
सर पर लिए घूमते थे
एक नेता की बातों में आ गए
हथियार डाल दिए
सज़ा काट कर बाहर आये
नेताजी की चिकनी चुपड़ी
गिरगिटी बातों में फँस गए
देश सेवा के लिए
उनकी पार्टी में शामिल हो गए
थोड़े दिनों में नेताओं को
असली रूप उजगार हुआ
डाकुओं से भी बदतर
आचरण देख कर
हैरान,परेशान हो गए
फिर से डाकू बन गए
एक पत्रकार के पूछने पर
क्यूँ फिर से डाकू बने ?
व्यथा सुनाने लगे
जिनका ना धर्म ना ईमान हो
गरीब को भी लूट ले
भूखे की रोटी छीन ले
सफ़ेद कपडे में छुपे नाग
जो अपनों को भी डँस ले
निरंतर सच से परहेज रखे
खुद की बात का खुद भी
विश्वास ना करे
ऐसे नेताओं से डाकू अच्छे
इस लिए वे फिर से
डाकू बने
27-08-2011
11403-125-08-11
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