निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
वो मिलते भी हैं
मुस्काराते भी हैं
निरंतर
लुभाते भी हैं
पर ये नहीं बताते
कब फिर मिलेंगे ?
कहाँ रहते हैं ?
क्या करते हैं ?
क्यूं
इंतज़ार कराते हैं ?
इस तरह सताते हैं
09-08-2011
1323-45-08-11
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