लिखते हुए आज
एक साल पूरा हो गया
एक नए अहसास से
वाकिफ हो गया
मेरी दुनिया के बाद
और भी कोई दुनिया है
मुझे पता ना था
कलम से
प्यार बचपन से था
पर शौक से कभी कुछ
लिखा ना था
एक वाकया ऐसा हुआ
परीक्षित से विचारों का
आदान प्रदान हुआ
मुझे लिखने को प्रेरित किया
एक जुनून सवार हो गया
लैपटॉप पर ऊंगलियों का
चलना शुरू हो गया
निरंतर जो देखा,
सहा,और सोचा
लिखने लगा
पूना से उत्तरांचल
तेजपुर से त्रिवेंद्रम तक
देश और विदेश से
लोगों ने होंसला बढाया
जो लिखा उसे सराहा
त्रुटियों का ध्यान दिलाया
लिखना अब आदत हो गया
बहुतों को खुश,बहुतों को
नाराज़ किया
कोई दिन नहीं गुजरता
जब दिल की बात नहीं
करता
बिना सृजन अब कुछ अच्छा
नहीं लगता
निरंतर लिखना मजबूरी
और जीने का मकसद
बन गया
(मेरे प्रेरणा स्त्रोत डा.परीक्षित सिंह,य़ू ,एस, ए को समर्पित)
02-08-2011
1289-11-08-11
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