नम्र धूप बिखेरता
रात का काला अन्धेरा
भगाता
उजाला पृथ्वी पर न्योछावर
करता
नयी आशा और जीवन का
संचार करता
बचपन,सूर्योदय सा होता
पुराना जाता,नया आता
नम्र चेहरा,सब को लुभाता
जीवन आशाओं से भरा
भविष्य का दर्पण सा होता
दोपहर का तेज़ सूर्य
अपने पूरे शवाब में होता
जोश में दहकता,
देखने की कोई हिम्मत
ना करता
अपने तेज़ से पृथ्वी को
चका चौंध करता
यौवन दोपहर के सूर्य सा होता
भरपूर चमकता
बहते पानी सा बहता रहता
शक्ति और जोश से भरा होता
असंभव को संभव करता
शाम को सूर्य थकता,
तेज़ उस का कम होता
दह्कना मंद होता
जाते जाते लालिमा बिखेरता
आकाश को
अनेक रंगों से भरता
अनंत में छुप जाता
बुढापा सूर्यास्त सा होता
पर जीवन कब अस्त होगा
पता ना होता
तेज़ चेहरे का कम होता
शरीर थक जाता
अच्छे बुरे
कर्मों का विश्लेषण होता
सद्कर्म लालिमा बिखेरते
औरों को रास्ता दिखाते
दुष्कर्म ग्लानि से भरते
लोग निरंतर हिकारत से
देखते
कल फिर नया सूरज उगेगा
नया बचपन आयेगा
06-04-2011
611-44 -04-11
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