कैसे उनसे कहूं ?
कैसे उनसे कहूं ?
अब भूल जाएँ
कसमें सारी तोड़ दें
ना फिर कभी मिलें
पत्थर
दिल पर रख लें
कुछ अश्क बहा लें
नहीं लड़ सकते
दुनिया से अब
नहीं बच सकते
उसकी
बेदर्द नज़रों से अब
खेल किस्मत का
समझ
निरंतर साथ उसका
निभाओ
साथ जिसके बंधे
हो तुम
02-04--11
581—14 -04-11
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