लोग
क्या क्या करते हैं
बेखबर था
वादा कर के मुकर जाते
गुमाँ ना था
सच को झूंठ बनाते
अहसास ना था
चेहरे पर चेहरा चढाते
पता ना था
दोहरी ज़िन्दगी जीते
मालूम ना था
हँसते हँसते भी गाली देते
जानता ना था
अश्क बहाते मगर
मलाल नहीं होता
निरंतर गले लगाते पर
प्यार नहीं होता
जनाजे में जाते मगर
गम नहीं होता
लोग क्या क्या करते हैं
बेखबर था
15-11-2010
No comments:
Post a Comment