Udaipur
320—02-11
उनका बड़ा निराला
पानी से भरे
बादल सा होता
बादल सा होता
गरजता,
मगर कभी ना बरसता
समझ ना सकता
कोई दिल का मारा
रोज़ बात
मिलने की करते
मिलने की करते
मिलने पर
लब ना खोलते
लब ना खोलते
नाम पर आहें भरते
देखते तो नज़रें
ना मिलाते
ना मरने देते,
ना जीने देते
ना जीने देते
निरंतर
यूँ ही सताते
यूँ ही सताते
24-02-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
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