252—02-11
ना
उनका मजहब,
ना ईमान कोई
ना अपना ,
ना हमदर्द कोई
ना रिश्ता,ना नाता कोई
पैसा अब धर्म उनका
कैसे भी कमाना
मकसद उनका
निरंतर जोड़ना
मुकाम उनका
हर हथकंडा अपनाना
ना सोना ना जागना
ख्वाब उसके ही देखना
अब काम उनका
दोस्त को दुश्मन बनाना
खुदा से ना डरना
अब शगल उनका
पैसा अब जीवन उनका
पैसा पैसा करते मरना
अब हश्र उनका
14-02-2011
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