269—02-11
आज पक्षी
खुश नज़र आ रहे
रोज़ से
ज्यादा चहचहा रहे
हवा में रवानी ज्यादा
रोज़ से तेज़ चल रही
डालियाँ पेड़ की ज्यादा
झूम रहीं
मौसम में अजीब सी
खुशी छायी
उसकी महक
समाँ को महका रही
कौव्वे की कायं कायं
उस के आने की
खबर दे रही
निरंतर उम्मीद रहती
आज मुलाकात होगी
हसरत पूरी होगी
बाहर खडा
निरंतर इंतज़ार करता
वो आयी ,रुकी नहीं
आँखों के सामने से
चली गयीं
मेरी तरफ झांका
तक नहीं
उम्मीद मेरी टूटी नहीं
हवा के तेज़ बहने
डालियों के झूमने
पक्षियों के चहचहाने
कौव्वे की कांव कांव पर
बाहर खडा होता
उसका इंतज़ार करता
शायद कभी मुझे देखेगी
रुकेगी
दो बातें करेगी
हसरत पूरी होगी
17-02-2011
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