249—01-11
मोहब्बत के
अंधे कुवे में तैर रहा
ना डूबता ना बाहर
निकलता
भर भर के घूँट
उम्मीद के पीता
किसी तरह जान
अपनी बचाता
निरंतर इंतज़ार करता
यूँ पानी में ना गलाएँ
चेहरा अपना दिखाएँ
साथ डूब जाएँ
या बाहर निकालें
मुझे अपना बनाएं
या वजूद मेरा
मिटाएं
13-02-2011
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