285—02-2011
याद आता गुजरा हुआ ज़माना
ज़न्नतनशी दोस्तों का मुस्कराना
हर लब्ज उनके मुंह का
लगता सुना रहा कोई तराना
जो वक़्त उनके साथ गुजारा
उस का हर लम्हा एक अफ़साना
निरंतर याद कर के दिल रोता
काश उन में से एक तो लौटता
हाल दिल का उसे सुनाता
बात दिल की समझता
हर हाल में साथ मेरा देता
कंधे पर हाथ मेरे रखता
अकेला मुझे ना छोड़ता
ज़न्नत में बाकियों को सुनाता
सुकून मुझे ज़मीं पर मिलता
कोई तो है जो मुझे चाहता
19-02-2011
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