255—02-11
ग़मों
से फुर्सत हो
तो हाल अपना सुनाऊँ
वो नज़र आएँ तो
हंस के दिखाऊँ
कौन समझेगा
बात दिल की
वो बैठें बगल में तो
उन्हें समझाऊँ
आग दिल की कैसे
बुझाऊँ
वो मुस्करा दें अगर
तो आग बुझाऊँ
निरंतर ख्यालों को
कैसे रोकूँ
वो ख़्वाबों में आएँ
तो ख्यालों को रोकूँ
अश्क आँखों से कैसे
रोकूँ
वो पोंछ दें तो
रोना छोडूं
15-02-2011
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