Tuesday, February 8, 2011

फूल गुलाब का,खुदा का ज़मीं को तोहफा

फूल गुलाब का
खुदा का ज़मीं को
तोहफा
पौधा काँटों से भरा
फिर भी सबका प्यारा
हर शख्श को भाता
ताज़ा हो या सूखा
निरंतर महकता
मज़ार,मंदिर
में चढ़ाया जाता
प्रियतम  से
मेहमान तक सबको
भेट किया जाता
कई रंगों में पाया
जाता
गुलकंद स्वाद
जुबाँ को देता
गुलाबजल ज्योति
नेत्रों की बढाता
इत्र
कपड़ों पर लगाया जाता
ठंडाई को महकाता
कौन होगा
जिसे गुलाब ना
लुभाता
मैं भी इच्छा
मन में रखता
गुलाब के फूल सा
जीना चाहता
सूखने के बाद भी
महकना चाहता
08-02-2011

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