289—02-11
कब ऋतु बदलेगी
खिजा जाएगी,
बहार आएगी
गुल फिर खिलेंगे,
निरंतर महकेंगे
ज़ख्म-ऐ दिल ठीक
होंगे
गम ख़त्म होंगे
इसी उम्मीद में दिन
कटता
रात को ख्वाब,सुनहरी
देखता
सवेरे ख्याल तार तार
होता
खुद को कल की
जगह पाता
फिर गीत वही गाता
कब ऋतु बदलेगी
खिजा जाएगी,
बहार आएगी
20-02-2011
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