294—02-11
इस बेजान
दिल की कहानी
कैसे कहूं
क्यूं बेजान हुआ
कैसे बताऊँ
कभी बल्लियों उछलता
निरंतर महकता
बहुतों को लुभाता
अब खामोशी से सब सहता
चुपचाप किस्मत को रोता
याद कर कर रातों को
जागता
दौर-ऐ-बेवफाई को
सिला मोहब्बत का
समझता
खुदा की मर्जी कह कर
वक़्त गुजारता
21-02-2011
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