243—01-11
जोग
संजोग किसने देखा
हो जाए तो जोग
ना हो तो संजोग
किस्मत को किसने देखा
किसने खुदा को देखा
हर शख्श ने
अपनी अक्लसे सोचा
हर बात को
अपनी नज़र से देखा
मीठी बातों में फंसते
लोग
कड़वा सच कहाँ सुनते
लोग
निरंतर कयास अपना
लगाते
जो भाता उसे अच्छा
बताते
ना पसंद को बकवास
कहते
हकीकत से खुद को
दूर रखते
10-02-2011
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