Tuesday, February 8, 2011

मैं फिर से बच्चा बनना चाहता

223--02-11

मैं
फिर से बच्चा बनना
चाहता
अपनों के बीच रहना
माँ की गोद में सोना
उस के हाथ से खाना
तुतलाती बोली में बोलना
स्वछन्द हंसना
खोमचे पर खड़े हो कर खाना
जो मन में आये पहनना
दिन भर खेलना
चाहता
तितलियों के पीछे भागना
पेड़ पर चढ़ अमरुद तोड़ना
चाहता
कोई मुझे पहचाने नहीं
कोई मुझे जाने नहीं
निरंतर ज़माने के बदलते
मंजर से दूर जाना
चाहता
मैं फिर से बच्चा बनना
चाहता
बचपन में लौटना
चाहता
06-02-2011

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