300—02-11
तेरे ख़त का
क्या जवाब दूं
प्यार के इज़हार को
कबूल करूँ या ना करूँ
या दिल की रज़ा जान लूं
निरंतर मोहब्बत में
लोगों को लुटते
दिलों को टूटते
जाँ अपनी देते देखा
या तो कुर्बानी दे दूं
या ज़िन्दगी अकेले
काट दूं
21-02-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
No comments:
Post a Comment