लोग
रिश्तों के मायने
ढूंढते
अपने जहन से उन्हें
देखते
हर रिश्ते को शक से
हर रिश्ते को शक से
देखते
जिस का जहन जैसा
जिस का जहन जैसा
वैसा सोचते
निरंतर खुद से ज्यादा
निरंतर खुद से ज्यादा
दूसरों को खोजते
हर रिश्ता पाक होता
हर रिश्ता पाक होता
नापाक इंसान खुद
बनाता
जहन में क्या है
जहन में क्या है
दुनिया को बताता
खुद की नज़रों में
खुद की नज़रों में
गिरता
बेशर्मी से जीता
रास्ता दोजख का
आसान करता
28-11-2010
No comments:
Post a Comment