281—02-11
ये कैसी
अजीब बस्ती है
हर तरफ आशिकी
दिलों में आग लगी
हीर रांझों से भरी
उम्मीद किसी की
हर तरफ आशिकी
दिलों में आग लगी
हीर रांझों से भरी
उम्मीद किसी की
पूरी ना होती
दिल की आग कभी
ना बुझती
निरंतर
निरंतर
दिलों में गम भरती
फिर भी चलती रहती
रोज़ एक नए
फिर भी चलती रहती
रोज़ एक नए
हीर रांझा की जोड़ी
पैदा होती
19-02-2011
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