Thursday, February 10, 2011

आज कल वो मिलती नहीं,कहाँ रहती पता नहीं

240—01-11

आज कल
वो मिलती नहीं
कहाँ रहती पता नहीं
कहीं दिखती नहीं
ख्याल उनका रुकता
नहीं
भूल उनको सकता
नहीं
उनका जलाया चिराग
बुझता नहीं
रोशनी कम होती नहीं
याद मिटती नहीं
निरंतर सूरत सामने
रहती
ज़मीं पर नहीं,
ज़न्नत में दिखेगी
उम्मीद अभी मरी
नहीं
1-02-2011

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