Tuesday, February 8, 2011

बीमार-ऐ-इश्क हूँ ,दवा लेकर जाऊंगा

225--02-11

गुजरा
वक़्त नहीं हूँ,
जो  लौटता नहीं
वो तीर भी नहीं
जो छूट कर
वापस आता नहीं
मैं मौसम सावन का
हर ग्रीष्म के बाद आता
मैं मौसम बसंत का
हर शीत के बाद आता
नहीं दिखूं,तो मत
समझना
लौटूंगा नहीं
आसानी से
दिल से जाऊंगा नहीं
ख्यालों में बार बार
आऊँगा
कितना भी भुलाओ मुझे
निरंतर याद दिलाऊंगा
तुम्हें चाहा है, चाहता
रहूँगा
दिल दिया है,
दिल लेकर जाऊंगा
नफरत को
मोहब्बत में बदल
दूंगा
बीमार-ऐ-इश्क हूँ ,
दवा लेकर जाऊंगा
07-02-2011

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