Thursday, February 10, 2011

उनके नाम से सिहरन होती,कई यादें ताजी होती

156-01



उनके
नाम से सिहरन होती
कई यादें ताजी होती
मैं उन्हें,वे मुझे भाती
जब भी मिलते
आँखों में चमक आती
मैं उन्हें,वे मुझे छेड़ती
बिना मिले दिन बीतते
तड़प मन में होती
ख्यालों में आती रहती
लोगों को खटकना
शुरू हुआ
मकसद मिलने का
कुछ और समझा गया
मुझे चर्चा का पता
पड़ गया
क्या चल रहा मन में
लोगों के समझ गया
मिलना जुलना कम
किया
कई बार पूछा उन्होंने
हंस कर टाल गया
कारण कभी ना बताया
अब मिलना बंद हो गया
रंज दिल में रह गया
क्यूं झूंठ का पर्दाफ़ाश
नहीं किया?
बहन भाई के रिश्ते को
बदनाम होने दिया
क्यों सत्य के लिए
लड़ने वाला कमजोर
पड़ गया
निरंतर दिल कचोटता
कैसे उन्हें बताऊँ
हकीकत से रूबरू
कराऊँ
29-01-2011

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