Thursday, February 10, 2011

कातिल



वो आये थे, 
ज़िन्दगी में ,बहार 
बन कर,

निरंतर रहे मुस्कान 
बन कर
गए बीता हुआ कल 
बन कर

बहारों का आना,
जी भर के मुस्कराना,
धुंआ बन उड़ जाना,

ग़म--हयात छोड़ जाना,
अफसानों  का यही 
फसाना

आज हमने भुगता है,
कल तुम  भुगतोगे

आज हम रो रहे
कल तुम भी रोओगे

हमारे कातिल तुम 
बने हो,
तुम्हारा कोई और 
बनेगा

ना हम बच सके ,
ना तुम बच सकोगे

17-08-2010

No comments: