वो आये थे,
ज़िन्दगी में ,बहार
बन कर,
निरंतर रहे मुस्कान
निरंतर रहे मुस्कान
बन कर
गए बीता हुआ कल
बन कर
बहारों का आना,
जी भर के मुस्कराना,
धुंआ बन उड़ जाना,
ग़म-ए-हयात छोड़ जाना,
अफसानों का यही
बहारों का आना,
जी भर के मुस्कराना,
धुंआ बन उड़ जाना,
ग़म-ए-हयात छोड़ जाना,
अफसानों का यही
फसाना
आज हमने भुगता है,
कल तुम भुगतोगे
आज हम रो रहे
कल तुम भी रोओगे
हमारे कातिल तुम
आज हमने भुगता है,
कल तुम भुगतोगे
आज हम रो रहे
कल तुम भी रोओगे
हमारे कातिल तुम
बने हो,
तुम्हारा कोई और
तुम्हारा कोई और
बनेगा
ना हम बच सके ,
ना तुम बच सकोगे
17-08-2010
ना हम बच सके ,
ना तुम बच सकोगे
17-08-2010
No comments:
Post a Comment