आइना देखते देखते
बचपन पीछे छूट गया
चेहरा
झुर्रियों से भर गया
समय की
थकान बताने लगा
मगर आइना ना बदला
मुझ पर
सदा मुस्काराता रहा
कहता रहा
लाख बन संवर लो
समय की मार से
कोई नहीं बच सका
तुम कितने दिन बचोगे
एक दिन तुम भी
आइना
देखना छोड़ दोगे
885-04-02-12-2012
जीवन.आइना,मृत्यु
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