वास्तविकता की उड़ान में
भाव मेरे भी बहते हैं
घाव मेरे भी रिसते हैं
अब जब बन गए हो तुम
हमराज मेरे
दर्द अवश्य कम हो जायेंगे
तराशेंगे एक दूजे को
हँसते हुए जियंगे
मिल कर हम दोनों
गीत खुशी के गायेंगे
956-75-15-12-2012
हमराज़,जीवन,खुशी,वास्तविकता
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