क्यों किसी से
मन की बात कहूँ?
क्या पता उसकी भी
व्यथा मेरे जैसी ही हो
क्यों किसी की
दुखती रग को छेड़ूँ
मेरी व्यथा तो कम
होगी नहीं
किसी और की व्यथा
क्यों बढाऊं?
दर्द को समझने वाले
मेरे चेहरे को देख कर ही
मनोस्थिति समझ जायेंगे
स्वयं आकर पूछ लेंगे
निदान तो नहीं कर पायेंगे
मगर दिलासा अवश्य देंगे
मन का बोझ
अवश्य कम कर देंगे
925-43-12-12-2012
मनोस्थिति, दर्द,
व्यथा, दुखती रग
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