मेरी कवितायें
तुम्हारी छाया
भर हैं
उसके शब्द तुम्हारी
भाव भंगिमाओं
के विम्ब हैं
उसके वाक्य तुम्हारी
सुन्दरता
उनका भावार्थ
मेरे तुम्हारे
प्रेम का प्रतीक है
मेरी कवितायें
कवितायें नहीं
तुम हो
ये तब तक समाप्त नहीं होंगी
जब तक
तुम्हारे शरीर
में प्राण हैं
जब तक
तुम्हारी सांस
चलेगी
मेरी कविता में
नयी पंक्तियाँ
जुडती रहेंगी
जिस दिन उसमें
इश्वर
व्यवधान उत्पन्न
करेगा
कविता समाप्त
हो जायेगी
इसके आगे पीछे
घूम रहा
मेरा जीवन भी
समाप्त
हो जाएगा
मेरी कविता मेरे
तुम्हारे
संबंधों के बीच
की कड़ी है
जिस दिन भी
ये कड़ी टूट
जायेगी
कविता
अमर प्रेम कहानी
में
बदल जायेगी
895-13-05-12-2012
प्रेम,प्यार,
कविता
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