Wednesday, December 5, 2012

मेरी कवितायें तुम्हारी छाया भर हैं



मेरी कवितायें
तुम्हारी छाया भर हैं
उसके शब्द तुम्हारी
भाव भंगिमाओं के विम्ब हैं
उसके वाक्य तुम्हारी
सुन्दरता
उनका भावार्थ
मेरे तुम्हारे प्रेम का प्रतीक है
मेरी कवितायें कवितायें नहीं
तुम हो
ये तब तक समाप्त नहीं होंगी
जब तक
तुम्हारे शरीर में प्राण हैं
जब तक
तुम्हारी सांस चलेगी
मेरी कविता में
नयी पंक्तियाँ जुडती रहेंगी
जिस दिन उसमें इश्वर
व्यवधान उत्पन्न करेगा
कविता समाप्त हो जायेगी
इसके आगे पीछे घूम रहा
मेरा जीवन भी समाप्त
हो जाएगा
मेरी कविता मेरे तुम्हारे
संबंधों के बीच की कड़ी है
जिस दिन भी
ये कड़ी टूट जायेगी
कविता
अमर प्रेम कहानी में
बदल जायेगी
895-13-05-12-2012
प्रेम,प्यार, कविता

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