तुम मेरी तरफ
झांकती भी हो
मुझसे मिलना भी
चाहती हो
पर तुम्हारे मन का
दरवाज़ा
बहम के ताले में बंद है
दिल के दरीचों पर
शक की सलाखें लगी हैं
चाहते हुए भी
मिल नहीं पाती हो
अगर मेरी चाहत तुम्हें
तडपाती है
तो शक की सलाखों को
तोड़ना होगा
बहम के ताले को
खोलना होगा
नहीं तो ज़िन्दगी भर
घुट घुट कर जीना होगा
दरीचे =खिड़कियाँ
963-82-15-12-2012
बहम,शक,शायरी
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