वो निरंतर
कहती थी मुझसे
तुम भी वैसे
ही सोचो
जैसे मैं सोचती
हूँ
दुनिया की बुराइयों
के
रंग ही मत देखा
करो
प्यार स्नेह
के रंगों को भी
देखा करो
बार बार की मनुहार
से
थक हार कर
वैसे ही सोचने
लगा
जैसा वो चाहती
थी
सोच बदलने लगा
सुखद आभास होने
लगा
मुझ पर भी प्यार
का रंग
चढ़ने लगा
भावों में बह
कर एक दिन
उसका हाथ मांग
लिया
अपने प्यार का
इज़हार
कर दिया
उसके सोच से
सोचना
जीने का तरीका
बन गया
904-22-07-12-2012
सोच,भाव,प्रेम,
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