निरंतर चलता रहा हूँ
जीवन से सीख कर
जीवन में उतारता रहा हूँ
कई मोड़ों पर ठिठका हूँ
कई मोड़ों पर झिझका हूँ
फिर भी रुका नहीं
पथ से भटका नहीं
रुकावटों से लड़ता रहा हूँ
विवेक को नहीं
उसूलों को तोड़ा नहीं
लाभ हानि देखी नहीं
आँखें भीगी मगर
असफलता में कभी
रोया नहीं हूँ
अपनी शर्तों पर जीता
रहा हूँ
निरंतर चलता रहा हूँ
जब तक लिखा है
भाग्य में जीना
जब तक चलता रहूँगा
सच के लिए लड़ता रहूँगा
जो उमड़ता हैं मन में
निरंतर कहता रहूँगा
973-92-20-12-2012
निरंतर, जीवन
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