ज़िन्दगी के सफ़र में
गिरते सभी हैं
ज़ख्म खाते भी सभी हैं
दर्द से करहाते भी सभी हैं
मुस्कराककर उठते वहीं हैं
जो मंजिल
तक पहुंचना चाहते
ज़ज्बा नहीं खोते
जो रोते रह जाते
वो रास्ते से भटक जाते
मंजिल का पता ही
भूल जाते हैं
889-08-03-12-2012
ज़िन्दगी,सफ़र,मंजिल ,ज़ज्बा
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