जब इंसान चाहता
ठहराव ज़िन्दगी में
ठहरती नहीं ज़िन्दगी
जब चलना चाहता
चलती नहीं ज़िन्दगी
किसी मन की इच्छा
मानती नहीं ज़िन्दगी
सदा अपने तरीके से
चलती ज़िन्दगी
जिसने जैसे भी देखा
ज़िन्दगी को
उसे वैसी ही लगी
ज़िन्दगी
969-88-19-12-2012
ज़िन्दगी
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