व्यथा में रोते रोते
अचानक ख्याल आया
रोने से किसी को नहीं मिला
तो मुझे कैसे मिलेगा
मन की व्यथा कम करनी है
तो क्यों ना
किसी अपने से बात कर लूं
जो मन को पसंद हो
वो काम कर लूं
अच्छा संगीत सुन लूं
अच्छी किताब पढ़ लूं
मन को हल्का कर लूं
अपने को व्यवस्थित कर लूं
फिर से काम में जुट जाऊं
फिर कभी व्यथित ना होऊँ
ऐसा सोच रख लूं
924-42-08-12-2012
व्यथा ,व्यथित,रोना
,जीवन
1 comment:
nice poem!!!!!
delivering a nice message.....
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