हम तारीफ़ करते रहे
वो सर पर चढाते रहे
खुद को तारीफ़ का
हक़दार समझने लगे
जुबान में तल्खी
अंदाज में गरूर आ गया
जब समझाने के खातिर
उन्हें आइना दिखाया
उन्हें रास नहीं आया
हमें दुश्मन करार दे दिया
क्यों नहीं समझते ?
हमने तो
बेहतर करने के लिए
सिर्फ उनका होंसला
बढाया था
926-44-12-12-2012
शायरी,गरूर,
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