जो देख रहे हैं
वह सत्य है या
असत्य
यह तो पता नहीं
देखने दिखाने
वालों के
मंतव्य का भी
पता नहीं
किस का कैसा
सोच
अच्छा या बुरा
यह भी पता नहीं
किसका ईमान से
किस का
स्वार्थ से भरा
हुआ
यह भी पता नहीं
क्यों मन को
व्यथित करते
हो
दूसरे जैसे भी
देखते
दिखाते हैं
उन्हें वैसे
ही देखने
दिखाने दो
पर खुद तो
इमानदारी से
देख लो
जो जैसा भी दिखता
है
उसे वैसा मत
समझ लो
विवेक और बुद्धि
से
काम लो
भेड की खाल में
छुपे
भेडियों को पहचान
लो
905-23-07-12-2012
देखना,सत्य,असत्य,मंतव्य, विवेक,बुद्धि
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