तरक्की ने
नयी पीढी को
बड़ी सीख दी है
भौतिक सुख ही
जीवन की खुशी है
अहम् की तुष्टी
सर्वोपरी है
कोई बड़ा नहीं
कोई छोटा नहीं
मैं और मेरा ही
ज़रूरी है
जब मन आये
रिश्ते तोड़ लो
मतलब हो तो
रिश्ते बना लो
मगर निभाना
गैर ज़रूरी है
अधिक पाने की
इच्छा में
होड़ करना
तनाव में जीना भी
ज़रूरी है
मेरी बात समझ
आ जाए तो
अच्छी है
नहीं तो समय की
बर्बादी है
930-48-12-12-2012
तरक्की,नयी पीढी
,सीख , होड़ , तनाव
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