Wednesday, December 19, 2012

ह्रदय हँसता भी है,ह्रदय रोता भी है



मुझे बगीचे में जाना
अच्छा भी लगता है
अच्छा नहीं भी लगता है
ह्रदय हँसता भी है
ह्रदय रोता भी है
कुछ फूल खिले हुए
कुछ मुरझाये मिलते हैं
मेरे आस पास के
लोगों के जीवन का
आभास होता है
कुछ के पास
आवश्यकता से अधिक
कुछ के पास
आवश्यकता से भी कम
भाग्य के
इस विचित्र न्याय की
याद दिलाता है
967-86-19-12-2012
भाग्य, जीवन

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