202--02-11
मुझे लिबास
अपना भिजवा दो
करीब तुम्हारे रहा
वो खुश किस्मत भिजवा दो
महक उसने सूंघी तुम्हारी
हर लम्हा साथ तुम्हारे गुजारी
खामोशी से बात तुम्हारी सुनी
पहचान तुम्हारी बनी
“निरंतर” हमसाया तुम्हारी रही
उसे देख कर
अहसास तुम्हारा होगा
मेरे पास हो ऐसा लगेगा
बदन की खुशबू
ज़ज्ब उसमें होगी
उसे सूंघ कर ज़िन्दगी
कटेगी
04-02-2011
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