मेरा दम घुटता
मन रोने का करता
क्यूं अपना अब
पराया लगता ?
कल तक गले में
हाथ ड़ाल घूमता था
अब गला दबाने की
कोशिश करता
दोस्त,दुश्मन में
फर्क कम हो गया
स्वार्थ बढ़ गया
धन सब कुछ हो गया
जीवन से ज्यादा
ज़रूरी हो गया
निरंतर सोचता हूँ
कारण ढूंढता हूँ
निरुत्तर रहता हूँ
01-08-2011
1281-03-08-11
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