जिनमें डूब ना सकूँ
उन होठों का क्या करूँ ?
जिन्हें चूम ना सकूँ
उस सूरत का क्या करूँ ?
जिसे ख़्वाबों में ना देख सकूँ
उन गीतों का क्या करूँ ?
जिन्हें सुना ना सकूँ
निरंतर
दूर से उसे देखता रहूँ
आगोश में लेने के लिए
तड़पता रहूँ
उन हसरतों का क्या करूँ ?
जिन्हें पूरा ना कर सकूँ
01-08-2011
1285-07-08-11
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