Monday, August 1, 2011

दिल लगाना बुरा नहीं ,दिल जलाना क़यामत है

मोहब्बत के जूनून में

खुद को भूल गए

सुबह-ओ-शाम सिर्फ

उनको ढूंढते रहे

दाने दाने को

मोहताज़ हो गए

वो बड़े बेवफा निकले

बेरुखी से रुस्वां हो गए

खाने को गम

पीने को आंसू रह गए

निरंतर रोते रोते

एक बात समझ गए

दिल लगाना बुरा नहीं

दिल जलाना क़यामत है

मोहब्बत के खेल में

कुछ भी मुमकिन है

01-08-2011

1284-06-08-11

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