Saturday, December 15, 2012

मेरे मन की सड़क में



मेरे मन की सड़क में
गलियाँ ही गलियाँ
गलियों के अन्दर भी
कई गलियाँ
असंतुष्टी की गलियाँ
इच्छाओं
आकांशाओं की गलियाँ
मन इन गलियों में
भटक रहता है
उलझा रहताहै 
बेचैन रहता है
गलियों से निकल कर
संतुष्टी की मुख्य
सड़क पर नहीं आ पाता
हालांकि मन जानता है
जब तक इन गलियों से
बाहर नहीं निकलेगा
चैन की सड़क पर नहीं
आ पायेगा
954-73-15-12-2012
जीवन,संतुष्टी,असंतुष्टी,मन,चैन,इच्छाएं,आकान्शाएं

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