Tuesday, December 11, 2012

तरक्की ने नयी पीढी को बड़ी सीख दी है



तरक्की ने
नयी पीढी को
बड़ी सीख दी है
भौतिक सुख ही
जीवन की खुशी है
अहम् की तुष्टी
सर्वोपरी है
कोई बड़ा नहीं
कोई छोटा नहीं
मैं और मेरा ही
ज़रूरी है
जब मन आये
रिश्ते तोड़ लो
मतलब हो तो
रिश्ते बना लो
मगर निभाना
गैर ज़रूरी है
अधिक पाने की
इच्छा में
होड़ करना 
तनाव में जीना भी
ज़रूरी है
मेरी बात समझ
आ जाए तो
अच्छी है
नहीं तो समय की
बर्बादी है
930-48-12-12-2012
तरक्की,नयी पीढी ,सीख , होड़ , तनाव

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