Sunday, December 2, 2012

नया दोस्त बना कर क्या करूँ



खुद के वजूद का
पता नहीं
नया दोस्त बना कर
क्या करूँ
ये मुझे गवारा नहीं
दोस्त बनाते ही
दुनिया से उठ जाऊं
दोस्त का दिल तोड़ दूं
उसे आसूं बहाने पर
मजबूर कर दूं
वो मुझे दगाबाज़
समझेगा
नए दोस्त बनाने से
डरेगा
नहीं चाहता दोस्ती के
नाम से ही उसका
आइतबार उठा दूँ
खुद के वजूद का
पता नहीं
नया दोस्त बना कर
क्या करूँ
887-06-02-12-2012
ज़िन्दगी,दोस्त,शायरी, दोस्ती

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