Friday, December 7, 2012

जो देख रहे हैं



जो देख रहे हैं
वह सत्य है या असत्य
यह तो पता नहीं
देखने दिखाने वालों के
मंतव्य का भी पता नहीं
किस का कैसा सोच
अच्छा या बुरा
यह भी पता नहीं  
किसका ईमान से 
किस का
स्वार्थ से भरा हुआ
यह भी पता नहीं
क्यों मन को
व्यथित करते हो
दूसरे जैसे भी देखते
दिखाते हैं
उन्हें वैसे ही देखने
दिखाने दो 
पर खुद तो
इमानदारी से देख लो
जो जैसा भी दिखता है
उसे वैसा मत समझ लो
विवेक और बुद्धि से
काम लो
भेड की खाल में छुपे
भेडियों को पहचान लो
905-23-07-12-2012
देखना,सत्य,असत्य,मंतव्य,विवेक,बुद्धि

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