Saturday, December 15, 2012

भोर जब चेहरा दिखाने लगी



भोर जब
चेहरा दिखाने लगी
रात मुंह छुपाने लगी
मन ही मन सोचने लगी
अब उसे जाना होगा
सूरज के ताप से
बचना होगा
फिर लौटना हो तो
सूरज अस्त ना हो
तब तक
धीरज और धैर्य
रखना होगा
हिम्मत होंसले से
काम लेना होगा
तब तक अविचल
शांती से बैठना होगा
941-60-15-12-2012
हिम्मत,होंसला,धीरज,धैर्य,जीवन,भोर,अविचल 

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