Tuesday, December 11, 2012

हम तारीफ़ करते रहे,वो सर पर चढाते रहे



हम तारीफ़ करते रहे
वो सर पर चढाते रहे
खुद को तारीफ़ का
हक़दार समझने लगे
जुबान में तल्खी
अंदाज में गरूर आ गया
जब समझाने के खातिर
उन्हें आइना दिखाया
उन्हें रास नहीं आया
हमें दुश्मन करार दे दिया
क्यों नहीं समझते ?
हमने तो
बेहतर करने के लिए
सिर्फ उनका होंसला
बढाया था
926-44-12-12-2012
शायरी,गरूर,

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