Sunday, December 2, 2012

आइना देखते देखते



आइना देखते देखते
बचपन पीछे छूट गया
चेहरा
झुर्रियों से भर गया
समय की
थकान बताने लगा
मगर आइना ना बदला
मुझ पर
सदा मुस्काराता रहा
कहता रहा
लाख बन संवर लो
समय की मार से
कोई नहीं बच सका
तुम कितने दिन बचोगे
एक दिन तुम भी
आइना
देखना छोड़ दोगे
885-04-02-12-2012
जीवन.आइना,मृत्यु

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