Saturday, December 15, 2012

झूठी प्रशंसा के लिए



महीनों
दोस्त की कविताओं क़ी
प्रशंसा करता रहा
बदले में वो भी
मेरी कविताओं की
प्रशंसा करेगा
निरंतर आस लगाए रहा
मगर दोस्त ने
दोस्ती नहीं निभाई
एक बार भी
मेरी कविताओं की
प्रशंसा नहीं करी
निराशा में मैंने उसकी
कविताओं की प्रशंसा
करनी बंद कर दी
दोस्त से मिलने पर
उसे उल्हाना दिया
तो वो कहने लगा
जब मुझे तुम्हारी कवितायें
अच्छी नहीं लगती
तो कैसे प्रशंसा करता
तुम्हारी प्रशंसा भी झूठी थी
सच्ची होती तो कभी
प्रशंसा करना बंद नहीं करते
प्रशंसा पाने के लिए
प्रशंसा करना
दुनिया का चलन हो गया है
मगर मैं भीड़ से अलग
रहता हूँ
जैसा ठीक समझता हूँ
वैसा ही करता हूँ
झूठी प्रशंसा के लिए
आत्म सम्मान नहीं
बेच सकता
947-66-15-12-2012
प्रशंसा,आत्म सम्मान,

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